Haridwar me Ghume ki Jagah का चयन करना आसान नहीं है, क्योंकि यह शहर अनेक आकर्षणों से भरा हुआ है। हरिद्वार, जो कि भारत के सात पवित्र शहरों में से एक है, वहां गंगा नदी महादेवी के पवित्र पर्वतों से बहकर मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। यहां का सुंदर और शानदार दृश्य, हिंदू धर्म के लिए महत्वपूर्णता का स्रोत है, जहां श्रद्धालु अपने आत्मिक साफ़ी के लिए आते हैं और मोक्ष की प्राप्ति की कठिनाईयों का सामना करते हैं।
इस प्राचीन नगर में हर कदम पर आपको ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और प्राकृतिक समृद्धि से भरी हुई धरोहरें मिलेंगी, जो आपके दिल को छू लेंगी। इस लेख में, हम आपको हरिद्वार में घूमने के लिए 10 अद्वितीय स्थलों का परिचय करेंगे, जिन्हें देखकर आपका सफर होगा अद्वितीय और यादगार।
Table of Contents
हरिद्वार के बारे में (Haridwar ke bare mein)
हरिद्वार का अर्थ है “भगवान या देवता का वास”। इस शहर को मायापुरी, कपिला, गंगाधर आदि नामों से भी जाना जाता है। हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम माया है, जिसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती है। हरिद्वार को महाभारत में गंगाद्वार कहा गया है, क्योंकि यहां पर भगवान शिव ने अपनी जटा खोलकर गंगा को मुक्त किया था।
हरिद्वार में भगवान विष्णु के चार धामों में से दो धाम बद्रीनाथ और केदारनाथ का मार्ग जाता है। हरिद्वार में हर 12 साल में कुम्भ मेला और हर 6 साल में अर्ध कुम्भ मेला आयोजित होता है, जिसमें करोड़ों लोग शामिल होते हैं। हरिद्वार में गंगा आरती का भी विशेष महत्व है, जो प्रतिदिन सूर्यास्त के समय हर की पौड़ी पर की जाती है।
हरिद्वार का इतिहास (Haridwar ka itihaas)
हरिद्वार का इतिहास बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली है। इस शहर का उल्लेख वेद, पुराण, रामायण, महाभारत आदि धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। हरिद्वार को अमृत की बूंदों का एक स्थान माना जाता है, क्योंकि यहां पर समुद्र मंथन के दौरान गरुड़ द्वारा लाये गए कुंभ से अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। इसलिए यहां पर कुम्भ मेला का आयोजन होता है, जिसमें लोग स्नान करने के लिए हजारों की संख्या में इकट्ठा होते हैं। यह इस स्थल को एक पवित्र तीर्थ स्थल बनाता है, जहां लाखों श्रद्धालु अपने पापों को धोने के लिए आते हैं।
हरिद्वार में घूमने की जगह | (Haridwar Me Ghumne Ki Jagah)
हरिद्वार में आपको कई रोमांचक, शांतिपूर्ण और आकर्षक जगहें देखने को मिलेंगी, जो आपके मन को प्रसन्न और आत्मा को शुद्ध करेंगी। यहां के कुछ प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में हम आपको बताते हैं:
#1. गंगा आरती हरिद्वार में | Ganga Aarti at Haridwar
गंगा आरती हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध और भव्य आकर्षण है, जो प्रतिदिन सूर्यास्त के समय हर की पौड़ी पर की जाती है। इस आरती में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक भाग लेते हैं, जो गंगा नदी को दीपक, फूल, दूध और गंगाजल से अर्पण करते हैं। इस आरती के दौरान गंगा नदी का जल चमकता हुआ दिखाई देता है, जो एक अद्भुत दृश्य है। इस आरती का उद्देश्य गंगा माता को श्रद्धा, प्रेम और सम्मान से नमन करना है। इस आरती को देखने के लिए आपको पहले से ही जगह बुक करना होगा, क्योंकि यहां पर बहुत भीड़ होती है।
2. हर की पौड़ी | Har Ki Pauri
हर की पौड़ी हरिद्वार का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण घाट है, जहां पर गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस घाट का नाम हर की पौड़ी इसलिए है, क्योंकि यहां पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं, जो एक पत्थर पर उकेरे हुए हैं। यहां पर स्नान करने से माना जाता है कि आपके सारे पाप धुल जाते हैं और आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां पर आपको कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलेंगे, जैसे गंगा आरती, कुम्भ मेला, श्रावण मास की कांवड़ यात्रा आदि। यह घाट हरिद्वार का सबसे भीड़वाला और जीवंत घाट है, जहां पर आपको अनेक प्रकार के लोग देखने को मिलेंगे।
#3. मंसा देवी मंदिर | Mansa Devi Temple
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार का एक प्रमुख शक्ति पीठ है, जो बिल्लक्ती पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में मनसा देवी की दो मूर्तियां हैं, एक तीन मुखी और एक पांच मुखी, जो आठ हाथों से युक्त हैं। मनसा देवी को इच्छा पूर्ति करने वाली देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको पैदल चढ़ना होगा या फिर रोपवे का उपयोग करना होगा। रोपवे से चढ़ते हुए आपको हरिद्वार का खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा। इस मंदिर में आपको लाल चुनरी, नारियल, फूल, मेहंदी, चूड़ियां आदि चढ़ाने होंगे। इस मंदिर का दर्शन करने के बाद आपको शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक अनुभव होगा।
#4. चण्डी देवी मंदिर | Chandi Devi Temple
चंडी देवी मंदिर हरिद्वार का एक और प्रमुख शक्ति पीठ है, जो नील पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में चंडी देवी की एक विशाल मूर्ति है, जो अष्टभुजा रूप में दिखाई देती है। चंडी देवी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो अपने भक्तों को शत्रुओं से रक्षा करती है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको दो विकल्प हैं, या तो आप पैदल चढ़कर जा सकते हैं या फिर रोपवे का उपयोग कर सकते हैं। रोपवे से चढ़ते हुए आपको गंगा नदी और हरिद्वार शहर का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। इस मंदिर का निर्माण 1929 में किया गया था, जब श्री नीलकंठ महाराज ने चंडी देवी की मूर्ति को इस पर्वत पर स्थापित किया था।
#5. भारत माता मंदिर | Bharat Mata Mandir
भारत माता मंदिर हरिद्वार एक अनूठा स्थल है, जिसमें आठ मंजिलें भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाती हैं। यहां प्रत्येक मंजिल भारत के विभिन्न पहलुओं को प्रतिष्ठानित करती है, जिसमें संतों, योद्धाओं, देवी-देवताओं और राजनीतिक नेताओं की मूर्तियां शामिल हैं। यह आशीर्वाद, श्रद्धांजलि और एकता का संदेश देता है, जो सभी भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण है। यह मंदिर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि द्वारा 1983 में स्थापित किया गया था, जो भारतीय साहित्य, कला, और सांस्कृतिक के प्रति अपने समर्पण के लिए प्रसिद्ध हैं।
#6. शांतिकुंज | Shantikunj
.
शांतिकुंज हरिद्वार का एक आध्यात्मिक और सामाजिक संस्थान है, जो गायत्री परिवार का मुख्यालय है। यह संस्थान 1971 में पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा स्थापित किया गया था, जो युग निर्माण योजना के अंतर्गत आध्यात्मिक, नैतिक और सामाजिक जागरण का कार्य करता है। यहां पर आपको गायत्री महामंत्र, यज्ञ, योग, प्राणायाम, ध्यान, स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कार, सेवा आदि के बारे में शिक्षा और प्रशिक्षण मिलेगा। शांतिकुंज में आपको ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, आयुर्वेदिक चिकित्सालय, गायत्री शक्तिपीठ, आदि देखने को मिलेंगे। शांतिकुंज में आपको निःशुल्क रहने और खाने की व्यवस्था मिलेगी। यहां पर आपको अपने आप को समर्पित करना होगा और संस्थान के नियमों का पालन करना होगा।
#7. दक्षेश्वर महादेव मंदिर | Daksheshwar Mahadev Temple
दक्षेश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार का एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर कंखल में स्थित है, जो हरिद्वार से 4 किमी दूर है। यह मंदिर दक्ष प्रजापति के यज्ञ का स्थान है, जहां पर उनकी पुत्री सती ने आत्मदाह कर लिया था। इस मंदिर का निर्माण 1810 में क्वीन अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। यह मंदिर शिवलिंग के साथ-साथ दक्ष प्रजापति, सती, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मी-नारायण, हनुमान, राम-सीता आदि की मूर्तियों से सुशोभित है। यह मंदिर शिवरात्रि, नाग पंचमी, श्रावण मास आदि पर्वों पर भक्तों से भरा रहता है।
#8. माया देवी मंदिर | Maya Devi Temple
माया देवी मंदिर हरिद्वार का एक और शक्ति पीठ है, जो माता माया को समर्पित है। माता माया को शक्ति, ज्ञान और भक्ति की देवी माना जाता है। यह मंदिर हरिद्वार के बीच में स्थित है, जो गंगा नदी के किनारे है। यह मंदिर 11वीं सदी में बनाया गया था, जो हरिद्वार का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर में माता माया के अलावा भी कामख्या देवी और कालीका देवी की मूर्तियां हैं। यह मंदिर नवरात्रि, दुर्गा पूजा, काली पूजा आदि पर्वों पर विशेष रूप से सजाया जाता है।
#9. पतंजलि योगपीठ | Patanjali Yogpeeth
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार का एक आधुनिक और वैज्ञानिक संस्थान है, जो योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करता है। यह संस्थान 2006 में योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा स्थापित किया गया था, जो भारतीय पारंपरिक ज्ञान को विश्व में प्रसारित करने का लक्ष्य रखते हैं। यहां पर आपको योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा, पंचकर्म, आहार, जड़ी-बूटी, आदि के बारे में व्यापक जानकारी और उपचार मिलेगा। पतंजलि योगपीठ में आपको विशाल योग हॉल, आधुनिक आयुर्वेदिक अस्पताल, शोध संस्थान, गौशाला, आदि देखने को मिलेंगे। यहां पर आपको आरामदायक रहने और भोजन की व्यवस्था मिलेगी। यहां पर आपको अपने आप को योग और आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार जीना होगा और संस्थान के नियमों का पालन करना होगा।
#10. नील धारा पक्षी विहार | Neel Dhara Pakshi Vihar
नील धारा पक्षी विहार हरिद्वार का एक प्राकृतिक और मनोरम आकर्षण है, जो गंगा नदी के किनारे स्थित है। यह एक पक्षी अभयारण्य है, जहां पर विभिन्न प्रकार के पक्षी देखने को मिलते हैं। यहां पर आपको बाज, चकवा, चकवी, नीलकंठ, शिकरा, बगुला, राजहंस, आदि पक्षी देखने को मिलेंगे। यह एक उत्कृष्ट स्थान है, जहां पर आप प्रकृति की गोद में शांति और आनंद का अनुभव कर सकते हैं। यहां पर आपको फोटोग्राफी, पिकनिक, बर्ड वॉचिंग, आदि करने का मौका मिलेगा। यह पक्षी विहार नवंबर से फरवरी के बीच ज्यादा आकर्षक होता है, क्योंकि इस दौरान यहां पर कई प्रवासी पक्षी आते हैं।
#11. राजाजी नेशनल पार्क | Rajaji National Park
राजाजी नेशनल पार्क हरिद्वार का एक बड़ा और विशाल वन्यजीव अभयारण्य है, जो हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी गढ़वाल जिलों में फैला हुआ है। यह पार्क 1983 में राजाजी, चिल्ला और मोटिचूर वन्यजीव अभयारण्यों को मिलाकर बनाया गया था। यह पार्क अपने विविध और समृद्ध वनस्पति और जीवजंतु के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर आपको एशियाई हाथी, बंगाल बाघ, चीता, लंगूर, भालू, जंगली बिल्ली, चकचकाते हिरण, नीलगाय, खरगोश, बाज, मोर, तोता, आदि देखने को मिलेंगे। यहां पर आपको जीप सफारी, इलेफेंट सफारी, ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग, आदि करने का मौका मिलेगा। यह पार्क नवंबर से जून के बीच खुला रहता है।
#12. प्रेम नगर आश्रम हरिद्वार | Shri Prem Nagar Ashram Haridwar
प्रेम नगर आश्रम हरिद्वार का एक आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण स्थान है, जो 1943 में योगीराज परमसंत श्री हंस जी महाराज द्वारा स्थापित किया गया था। इस आश्रम में आपको योग, ध्यान, सत्संग, सेवा और आत्मसाक्षात्कार के लिए अनुकूल वातावरण मिलेगा। इस आश्रम में आपको गोवर्धन हॉल, पंच पल्लव, श्री हंस पवन घाट, लॉर्ड शिव फाउंटेन, गौशाला, आदि देखने को मिलेंगे।
हरिद्वार कब जाएं (haridwar Kab Jaye)
हरिद्वार एक ऐसा शहर है, जो साल भर में किसी भी समय जाने के लिए उपयुक्त है। लेकिन यदि आप हरिद्वार की धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को देखना चाहते हैं, तो आपको इन पर्वों और मेलों के दौरान जाना चाहिए:
- कुम्भ मेला: यह एक बार हर 12 साल में हरिद्वार में आयोजित होता है, जिसमें करोड़ों लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं। यह मेला जनवरी से अप्रैल के बीच चलता है।
- अर्ध कुम्भ मेला: यह एक बार हर 6 साल में हरिद्वार में आयोजित होता है, जिसमें लाखों लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं। यह मेला फरवरी से अप्रैल के बीच चलता है।
- श्रावण मास: यह एक महीना होता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार जुलाई या अगस्त में आता है। इस महीने में हरिद्वार में शिव भक्तों का भारी आगमन होता है, जो गंगा नदी से जल लेकर शिव मंदिरों में जाते हैं। इस महीने में हरिद्वार की सड़कें और घाट भोले बाबा के कांवड़ियों से भर जाती हैं। इस महीने में हरिद्वार में शिवरात्रि, सोमवारी, श्रावणी पूर्णिमा, रक्षाबंधन, आदि पर्व मनाए जाते हैं। इस महीने में हरिद्वार का माहौल बहुत ही धार्मिक और उत्साहपूर्ण होता है।
हरिद्वार कैसे पहुंचें (How to Reach Haridwar)
हरिद्वार पहुंचना बहुत ही आसान है। यहां पहुंचने के लिए आप कई तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं:
- वायुयात्रा: नजदीकी विमानस्थलों से हरिद्वार आसानी से जुड़ा हुआ है। देहरादून विमानस्थल या जॉलीग्रांट विमानस्थल से आप वायुयात्रा करके यहां पहुंच सकते हैं।
- रेलवे: हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के मुख्य रूप से जुड़ा हुआ है और यहां से आप अपने लक्जरी ट्रैन या लोकल ट्रेनों का इस्तेमाल करके कहीं से भी आसानी से पहुंच सकते हैं।
- सड़क यातायात: हरिद्वार को अच्छी तरह से सड़क यातायात से जोड़ा गया है। आप बसों, टैक्सियों, और खुद की गाड़ी का इस्तेमाल करके भी यहां पहुंच सकते हैं।
हरिद्वार में घूमने का खर्चा (Cost of Travel in Haridwar)
हरिद्वार में घूमने का खर्चा आपकी आवश्यकताओं और आपके बजट पर निर्भर करेगा। यहां कुछ सामान्य आँकड़े हैं:
- आवास: हरिद्वार में आवास के विकल्प विभिन्न हैं, जैसे कि होटल, धार्मिक आश्रम, और यात्री निवास। मौसम और सुविधाओं के आधार पर आवास कीमतें बदल सकती हैं, लेकिन आप मध्यम रेंज से लेकर उच्च रेंज तक के विकल्पों को चुन सकते हैं।
- भोजन: हरिद्वार में आप विभिन्न प्रकार के भोजन का आनंद ले सकते हैं, जैसे कि स्थानीय व्यंजन, धार्मिक भोजन, और अन्य विभिन्न विकल्प। यहां का खाना बहुत ही स्वादिष्ट होता है और आपके बजट के अनुसार है।
- यात्रा: हरिद्वार में स्थानीय यातायात के लिए आप टैक्सियों, ऑटोरिक्शा, और रिक्शा का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपकी यात्रा की आवश्यकताओं के हिसाब से खर्च बढ़ सकता है।
निष्कर्ष | Concussion
हरिद्वार की यात्रा एक अनूठा और सांस्कृतिक पर्याय है, जो आपको एक नए रूप में जीने का अवसर प्रदान करती है। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य ने इस शहर को एक अद्वितीय स्थान बना दिया है, जो मानवता के असीम गहराईयों में भी आत्मा की शांति की खोज करता है।
हरिद्वार के प्रशासनिक और धार्मिक महत्व के साथ-साथ, यहां के स्थानीय बाजार भी यात्रा को अद्वितीय बनाते हैं। यहां की सुंदर गलियों में चलते हुए आपको नए रंग, विचार और स्वाद का संघर्ष होगा।
धार्मिक स्थलों की रौंगत में गुमकर, आप महत्वपूर्ण तीर्थों का संदर्भ करेंगे, जैसे कि हर की पौड़ी, मांसा देवी मंदिर, और छोटा चर धाम। यहां के मंदिरों में विभिन्न पूजा पद्धतियाँ और धार्मिक आचार्यों के साथ आपका संवाद होगा, जो आपको ध्यान में लीन करेगा और आपकी आत्मा को एक नए स्तर तक पहुंचाएगा।
यहां की यात्रा एक संगीत सांस्कृतिकी का अद्भुत संवाद है, जिसमें श्रद्धालुता, भक्ति, और आनंद का मिलन होता है। गंगा नदी के तट पर होने वाली गंगा आरती ने इस स्थान को रात्रि में एक आलौकिक अनुभव बना दिया है, जिसमें आप गंगा की लहरों में डूबकी लगाते हैं और उस दिव्य लक्ष्य की ऊँचाइयों की ओर बढ़ते हैं।
इस अद्वितीय सांस्कृतिक सफर के निष्कर्ष में, हरिद्वार की यात्रा एक प्रेरणादायक और आत्मा को मिलने का साधन है, जो शांति, आनंद, और सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश हमें सुनाती है। यह स्थान हमें हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकार की महत्वपूर्णता का आभास कराता है, जो हमें एक उद्दीपक, उद्दीपन, और उत्कृष्टता की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
Read More About : Best 14 Jaipur me ghume ki jagah
Faqs
हरिद्वार क्यों प्रसिद्ध है?
हरिद्वार अपने पवित्र मंदिरों और आश्रमों के लिए प्रसिद्ध है, जहां हिंदू धर्म के अनुयायी अपने धर्म की श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करते हैं। हरिद्वार में गंगा नदी का उद्गम स्थान है, जो हिंदुओं के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है। हरिद्वार में कुंभ मेला भी आयोजित होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समारोह है।
हरिद्वार किस राज्य में स्थित है?
हरिद्वार उत्तराखंड राज्य का एक जिला है, जो भारत के उत्तरी भाग में स्थित है।
हरिद्वार किस नदी के किनारे स्थित है?
हरिद्वार गंगा नदी के किनारे स्थित है, जो भारत की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण नदी है। गंगा नदी का उद्गम स्थान गौमुख है, जो हरिद्वार से 253 किलोमीटर की दूरी पर है।
हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध मंदिर कौन सा है?
हरिद्वार का सबसे प्रसिद्ध मंदिर दक्ष महादेव मंदिर है, जो शिव की पत्नी सती के पिता दक्ष का घर था। इस मंदिर में दक्ष का यज्ञ भी हुआ था, जिसमें शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया था। इसके कारण सती ने आत्मदाह कर लिया था, और शिव ने दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में शिव ने दक्ष को बकरे का सिर लगाकर जीवित कर दिया था।
हरिद्वार में कुंभ कितने वर्ष बाद लगता है?
हरिद्वार में कुंभ मेला प्रति 12 वर्ष बाद लगता है, जो एक बहुत ही धार्मिक और आस्था का पर्व है। इस मेले में करोड़ों लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं, और अपने पापों का नाश करते हैं। इस मेले में अनेक प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।
हरिद्वार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कौन से हैं?
हरिद्वार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हर की पौड़ी, विष्णु घाट और सप्तऋषि आश्रम हैं। हर की पौड़ी गंगा नदी का एक प्रमुख घाट है, जहां रोजाना गंगा आरती की जाती है। विष्णु घाट एक और धार्मिक घाट है, जहां विष्णु के चरणों के निशान मौजूद हैं। सप्तऋषि आश्रम एक ऐतिहासिक आश्रम है, जहां सात ऋषियों ने गंगा नदी को सात धाराओं में बांटा था।
हरिद्वार का निकटतम हवाई अड्डा कौन सा है?
हरिद्वार का निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो हरिद्वार से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस एयरपोर्ट से दिल्ली और अन्य शहरों के लिए नियमित उड़ानें होती हैं।
हरिद्वार में कौन सा रेलवे स्टेशन है?
हरिद्वार में मोतीचूर रेलवे स्टेशन है, जो हरिद्वार का प्रमुख रेलवे स्टेशन है |